इथेनॉल (Ethanol) के गुण उपयोग और अन्य जानकारी Ethanol in Hindi - GYAN OR JANKARI

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सोमवार, 6 दिसंबर 2021

इथेनॉल (Ethanol) के गुण उपयोग और अन्य जानकारी Ethanol in Hindi

इथेनॉल (Ethanol) के गुण उपयोग और अन्य जानकारी Ethanol in Hindi


इथेनॉल  क्या होता है (What is Ethanol)

इथेनॉल (Ethanol) को अल्कोहल भी कहा जाता है, इसे एथिल अल्कोहल और ग्रेन अल्कोहल के नाम से भी जाना जाता है। इथेनॉल एक कार्बनिक रासायनिक यौगिक है, इसका रासायनिक फार्मूला CH3-CH2-OH या C2H6OH होता है, अर्ताथ इथेनॉल का एक अणु कार्बन के 2 परमाणु, हाइड्रोजन के 6 परमाणु और नेगेटिव चार्ज वाले हाइड्रोऑक्साइड के एक अणु से मिलकर बना होता है। इथेनॉल एक अत्यंत ज्वलनशील तरल  पदार्थ होता है, जिसे पौधो से प्राप्त शर्करा या स्टार्च से बनाया जाता है। 

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इथेनॉल के गुण (Ethanol Properties)

  • इथेनॉल एक रंगहीन, पारदर्शी और हल्की गंध युक्त अत्यंत ज्वलनशील तरल पदार्थ होता है।  
  • इसका स्वाद तीखा (Pungent) होता है, यह पानी और अन्य कई कार्बनिक तरल पदार्थो में आसानी से घुलनशील होता है।
  • इथेनॉल हलके हाइड्रोकार्बन जैसे पेन्टेन और हेक्सेन आदि में घुलनशील होता है। 
  • सामान्य तापमान पर इथेनॉल तरल अवस्था में पाया जाता है, इसका गलनांक (पिघलने का तापमान) -114.1 डिग्री सेल्सियस होता है, अर्ताथ -114.1 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान पर इथेनॉल ठोस अवस्था में पाया जाता है, इसका क्वथनांक (उबलने का तापमान) 78.37 डिग्री सेल्सियस होता है। 
  • हवा के संपर्क में आने पर यह बहुत तेजी से वाष्पीकृत हो जाता है।
  • हमारी त्वचा के संपर्क में आने पर इथेनॉल त्वचा से गर्मी सोखकर तुरंत वाष्पीकृत हो जाता है, इसलिए यह छूने में ठंडा प्रतीत होता है।   
  • इथेनॉल का घनत्व 0.789 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर होता है, इस कारण यह पानी से हल्का होता है। 
  • इथेनॉल को जलाने पर यह धुआंरहित नीली लौ (फ्लेम) के रूप में जलता है, यह लौ (फ्लेम) दिन के प्रकाश में लगभग अद्रश्य होती है। 
  • इथेनॉल का फ़्लैश पॉइंट (Flash Point) 13 डिग्री सेल्सियस होता है, अर्ताथ 13 डिग्री सेल्सियस के न्यूनतम तापमान पर इथेनॉल की वाष्प आग पकड़ लेती है। 
  • इथेनॉल की कुछ मात्रा पानी में मिलाने पर पानी के सतही तनाव (Surface Tension) में बहुत कमी आ जाती है। 
  • इथेनॉल हमारे शरीर में जाकर कुछ हद तक मानसिक तनाव को कम करता है और ख़ुशी प्रदान करने वाली भावनाओं को बढ़ाता है, परन्तु अधिक मात्रा में इसका सेवन करने पर सांस लेने में तकलीफ, लो ब्लड प्रेशर, ह्रदय सम्बंधित परेशानियाँ, लिवर डैमेज और मृत्यु तक हो सकती है। 
  • इथेनॉल तैलीय पदार्थो में घुलनशील नहीं है। 
  • सोडियम मेटल से प्रतिक्रिया करके इथेनॉल हाइड्रोजन गैस और सोडियम-एथॉक्साइड (C2H5ONa) बनाता है। 
  • इथेनॉल को बहुत अच्छा विलायक माना जाता है, कई ऐसे कम्पाउंड जो पानी में नहीं घुलते वे इथेनॉल में आसानी से घुल जाते है। 


इथेनॉल कैसे बनाया जाता है (How ethanol is made)

इथेनॉल पौधों से प्राप्त किया जाता है, बहुत सी ऐसी फसलें है जिनसे इथेनॉल का उत्पादन किया जा सकता है जैसे मक्का, गन्ना, गेहूँ, चावल, आलू, बांस आदि। सबसे पहले कोई भी फसल जैसे मक्का, गेहूँ या चावल की पराली (गेहूं या चावल के दाने निकालने के बाद बचा हुआ फसल का हिस्सा), गन्ना का अपशिष्ट (गन्ने से शक्कर बनाने के बाद बचा हुआ हिस्सा) आदि को  बारीक़ पीस लिया जाता है, जिससे उनका स्टार्च बाहर निकल आता है, फिर इसमें पानी और एंजाइम मिलकर इस मिश्रण को  गर्म किया जाता है, इससे इस मिश्रण का स्टार्च टूट कर शर्करा में बदल जाता है। इसके बाद इस मिश्रण को ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है, ठंडा होने के बाद इस मिश्रण में यीस्ट मिलाया जाता है, यीस्ट मिश्रण में उपस्थित शर्करा को अपघटित करके कार्बन-डाई-ऑक्साइड और इथेनॉल में बदल देता है, इस प्रक्रिया को फर्मेंटेशन कहा जाता है। फर्मेंटेशन की प्रक्रिया पूरी होने में 4 से 5 दिन का समय लगता है, इस दौरान मिश्रण से कार्बन-डाई-ऑक्साइड निकलकर वातावरण में मिल जाती है और इथेनॉल बचे हुए मिश्रण के साथ रह जाता है। इस बचे हुए मिश्रण में पानी, फसल का हिस्सा और इथेनॉल होते है। इस मिश्रण को छानकर पानी और इथेनॉल के मिश्रण को अलग कर लिया जाता है। इथेनॉल पानी से कम तापमान पर वाष्पीकृत हो जाता है, इसलिए इस मिश्रण को गर्म करके आसवन विधि द्वारा शुद्ध इथेनॉल प्राप्त किया जाता है। 


इथेनॉल के उपयोग (Ethanol Uses)

  • वर्तमान समय में इथेनॉल का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग वाहनों के ईंधन के रूप में है, इथेनॉल एक ज्वलनशील तरल होता है, इसे पेट्रोल की तरह हवा के साथ मिलाकर बड़ी आसानी से ईंधन मिश्रण बनाया जा सकता है, जिसे इंटर्नल कम्बस्चन इंजन में जलाकर बड़ी आसानी से वाहन  चलाये जा सकते है। इथेनॉल को पौधों से प्राप्त शर्करा या स्टार्च से बनाया जाता है, इसलिए यह पेट्रोल की तुलना में सस्ता भी पड़ता है, और इससे पेट्रोल की तुलना में प्रदुषण भी बहुत कम होता है, इसलिए आजकल भारत समेत कई देशों में इथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इथेनॉल पौधों से प्राप्त होता है, इसलिए यह एक अक्षय ऊर्जा स्रोत भी है। 
  • कुछ हलके रॉकेटों में तरल ऑक्सीजन के साथ  इथेनॉल का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। 
  • इथेनॉल एक बहुत अच्छा जीवाणुनाशक है, यह अधिकांश बैक्टीरिया, कवक, फंगल और वायरस के खिलाफ प्रभावी है। यह सूक्ष्मजीवों की लिपिड बायलर झिल्ली को नस्ट करके उनके प्रोटीन को विकृत कर देता है, जिससे सूक्ष्मजीव नस्ट हो जाते है। इसलिए इथेनॉल का उपयोग कीटाणुनाशक तरल, एन्टिसेप्टिक्स और सेनेटाइजर बनाने में किया जाता है।
  • बहुत से दवाओं में इथेनॉल का उपयोग रोगाणुरोधी प्रिजर्वेटिव के रूप में किया जाता है। 
  • माउथवाश, टिंचर, सर्दी-खांसी की दवा, दर्द की दवा और कई अन्य दवाओं में इथेनॉल का उपयोग किया जाता है। 
  • इथेनॉल का उपयोग शराब बनाने में किया जाता है।
  • इथेनॉल का उपयोग पेंट, मार्कर, परफ्यूम, डिओड्रेंट जैसे उत्पादों में किया जाता है। 
  • इथेनॉल का उपयोग बहुत कम तापमान मापने वाले थर्मामीटर में भी किया जाता है। 
  • इथेनॉल के जमने का तापमान (Freezing Point) पानी की तुलना में बहुत कम होता है, इसलिए प्रयोगशालाओं इसका उपयोग ड्र्राय आइस (Dry Ice) के साथ वस्तुओ को पानी के जमाव बिंदु से नीचे के तापमान पर स्टोर करने के लिए किया जाता है।