द्वादश ज्योतिर्लिंगों की विस्तृत जानकारी
द्वादश ज्योतिर्लिंगों का महत्त्व
पुरे विश्व में भगवान शिव के लाखों मंदिर है, उन सभी का अपना-अपना महत्त्व है, लेकिन उनमें से भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों का विशेष
महत्त्व माना जाता है, हिन्दू पुराणों के अनुसार जिन स्थानों पर बारह
ज्योतिर्लिंग स्थित है, वहां पर भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए थे, और वे आज भी
ज्योति रूप में इन बारह ज्योतिर्लिंगों में साक्षात् निवास करते है। हिन्दुधर्म
में यह मान्यता है की जो मनुष्य प्रातःकाल और सायंकाल के समय इन बारह
ज्योतिर्लिंगों के नामों का उच्चारण या स्मरण करता है, उसके सात जन्मों के पाप
नष्ट हो जाते है। भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग भारत में अलग-अलग स्थानों पर
स्थित है, जिनका वर्णन इस प्रकार है :-
श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को प्रथम ज्योतिर्लिंग कहा जाता है, यह मंदिर भारत
के गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में अरब सागर के किनारे स्थित है,
इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था। इस मंदिर के अपार वैभव और अकूत
सम्पदा को लूटने के लिए मुस्लिम आक्रांताओ के द्वारा कई बार इस मंदिर पर
आक्रमण किया गया और इस मंदिर को नस्ट किया गया, परन्तु हिन्दू राजाओं और भक्तों
की इस मंदिर में गहरी आस्था होने के कारण हर बार इस मंदिर का पुनर्निर्माण उसी
भव्यता किया गया, इसलिए इस मंदिर को विनाश के ऊपर निर्माण की जीत का
प्रतिक माना जाता है।
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श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भारत के आंध्रप्रदेश राज्य के कृष्णा जिले में
कृष्णा नदी के किनारे स्थित है, इस मंदिर को श्रीसैलम के नाम से भी जाना
जाता है। श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग मंदिर के भीतर ही देवी भ्रामराम्बा का प्रसिद्ध मंदिर भी स्थित है, इसलिए इस मंदिर में शिव और शक्ति
का अद्बुध सहअस्तित्व देखने को मिलता है।
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श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के मध्यप्रदेश राज्य के प्राचीन नगर
उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है। बारह ज्योतिर्लिंगों में भी श्री
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का एक विशेष स्थान है, पुराणों में इस ज्योतिर्लिंग
के बारे में कहा गया है, की आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग और
पृथ्वी पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से बढ़कर कोई अन्य ज्योतिर्लिंग नहीं
है।
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श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग
श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के मध्यप्रदेश राज्य के खंडवा जिले में
नर्मदा नदी के मध्य एक टापू पर स्थित है, इस टापू का आकर ॐ अक्षर के सामान है,
इस टापू को मान्धाता टापू के नाम से जाना जाता है। यहां पर भक्तगण अपनी कामनापूर्ति के लिए नर्मदा नदी का जल लेकर श्री
ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग और मान्धाता टापू की परिक्रमा करते है, यह कुल सात
किलोमीटर लम्बी परिक्रमा होती है जिसे नाव में बैठकर पूरा किया जाता
है। श्री नर्मदा नदी के तट पर श्री ममलेश्वर शिवलिंग भी स्थित
है, श्री ममलेश्वर शिवलिंग को भी श्री ओम्कारेश्वर ज्योतिर्लिंग का ही स्वरूप माना
जाता है।
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श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के उत्तराखंड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले में
स्थित है, इस मंदिर की गिनती पंच-केदारों में भी की जाती है। मंदिर का निर्माण
पांच हजार वर्ष पूर्व पांडवों के वंशज जन्मेजय के करवाया था, यहां पर स्थित
शिवलिंग का आकर बैल की पीठ के समान है। यह मंदिर जिस क्षेत्र में स्थित है वहाँ
पर कभी महातपस्वी नर और नारायण ने तपस्या की थी। श्री केदारनाथ मंदिर से 41
किलोमीटर की दुरी पर श्री बद्रीनाथ मंदिर भी स्थित है। ऐसा माना जाता है की
श्री बद्रीनाथ मंदिर की यात्रा से पहले श्री केदारनाथ के दर्शन किये जाते है
अन्यथा यात्रा निष्फल मानी जाती है।
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श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के पुणे शहर से 125 किलोमीटर दूर
सहयाद्रि पर्वत पर स्थित है, यहाँ से भीमा नदी भी निकलती है, यहाँ पर स्थित
शिवलिंग आकर में बहुत विशाल है, इसलिए यहां पर इस शिवलिंग को मोटेश्वर
महादेव के नाम से भी जाना जाता है। असम के लोग महाराष्ट्र में स्थित श्री
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पर सवाल उठाते है, उनके अनुसार असली भीमाशंकर
ज्योतिर्लिंग असम के गुहावटी के निकट डाकिनी पर्वत के ऊपर स्थित है। शिव पुराण
के अनुसार भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कामरूप प्रदेश के पर्वतों के मध्य स्थित है।
क्योकि कामरूप प्रदेश असम का एक ही पुराना नाम है, इसलिए इस विषय में असम के
लोगों का दावा सत्य प्रतीत होता है।
श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के उत्तरप्रदेश राज्य में पृथ्वी के
सबसे प्राचीन नगर काशी में स्थित है, काशी को वाराणसी या बनारस के नाम से भी
जाना जाता है। पुराणों के अनुसार काशी नगरी का निर्माण स्वयं भगवान् शिव ने
किया था, तथा श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग सृष्टि के आरम्भ से ही काशी नगरी
में स्थित है। इस नगरी को अविनाशी माना जाता है, प्रलयकाल में भी इस नगरी का
लोप नहीं होता, पुराणों के अनुसार प्रलय आने भगवान शिव इस नगरी को अपने त्रिशूल
पर धारण करते है, और नवीन सृष्टि में पुनः इसकी स्थापना कर देते है, अनन्त
काल से यही क्रम चलता आ रहा है। शास्त्रों में काशी नगरी के महत्त्व के बारे
में कहा गया है की इस नगरी में प्राण त्याग देने मात्र से किसी पापी मनुष्य को
भी मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
श्री त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में गोदावरी नदी के उद्गम स्थल के निकट स्थित है। यहां पर स्थित
ज्योतिर्लिंग शिवलिंग के आकार का नहीं है, बल्कि यहाँ एक छोटे गड्ढे में
तीन छोटी पिंडियां स्थापित है, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिक माना
जाता है। ऋषि गौतम की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव इस स्थान पर
ज्योतिर्लिंग के रूप में निवास करने लगे थे।
श्री वैधनाथ ज्योतिर्लिंग
श्री वैधनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के झारखंड राज्य के देवघर जिले में स्थित है,
इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती है,
इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है। इसी स्थान पर देवी देवी
सती का हृदय गिरा था, इसलिए इस मंदिर परिसर में देवी का शक्तिपीठ भी स्थापित है
तथा इस मंदिर की गिनती देवी के 51 शक्तिपीठों में भी की जाती है। यहाँ पर स्थित
देवी सती का शक्तिपीठ भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की स्थापना से पहले
से ही स्थित है इसलिए इस मंदिर में शिव और शक्ति का अद्भुद संगम
देखने को मिलता है। यहाँ देवी सती का हृदय गिरा था इसलिए इस मंदिर को हृदयपीठ भी कहा जाता
है।
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के गुजरात राज्य के दारुकवन नाम के क्षेत्र
में स्थित है, नागेश्वर का अर्थ होता है नागों के ईश्वर। पुराणों में
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है, जिसके
अनुसार यदि कोई व्यक्ति श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा को श्रद्धा पूर्वक
सुनता है वह जीवन में समस्त सुखों का भोग करता हुआ अंत में मोक्ष को प्राप्त
होता है।
श्री रामेश्वर ज्योतिर्लिंग
श्री रामेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले के
निकट समुद्र में एक टापू के ऊपर स्थित है, इस टापू का आकर शंख के समान है, इस
ज्योतिर्लिंग की स्थापना भगवान श्री राम ने त्रेता युग में की थी। यह
मंदिर भगवान शिव और भगवान श्री राम को समर्पित है। दक्षिण भारत में स्थित इस
मंदिर को रामनाथस्वामी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की गिनती
हिन्दू धर्म के परम पवित्र चारधाम मंदिरों में भी की जाती है।
श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग
श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के ओरंगाबाद जिले में एलोरा
की गुफाओं के पास स्थित है, भगवान शिव की परम भक्त देवी घुश्मा के नाम पर इस
ज्योतिर्लिंग को श्री घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है। इस
मंदिर में निःसंतान दम्पतियो को संतान प्राप्ति का वर प्राप्त होता
है।