टिन (Tin) धातु के गुण उपयोग और जानकारी Tin Metal in Hindi - GYAN OR JANKARI

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शुक्रवार, 26 मार्च 2021

टिन (Tin) धातु के गुण उपयोग और जानकारी Tin Metal in Hindi

 टिन (Tin) धातु के गुण उपयोग और रोचक जानकारी Tin Metal in Hindi


टिन (Tin) धातु का परिचय 

टिन (Tin) एक धातु है, तथा रासायनिक रूप से यह एक तत्व है। टिन सिल्वर-सफ़ेद रंग की चमकीली धातु होती है। टिन दो अलग-अलग स्वरूपों (Allotropes) में पाया जाता है, इसका परमाणु भार 118.71 AMU, परमाणु संख्या 50 तथा सिंबल Sn होता है। इसके परमाणु में 50 इलेक्ट्रान, 50 प्रोटोन, 69 न्यूट्रॉन तथा 5 एनर्जी लेवल होते है। टिन का घनत्व 7.31 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर होता है। सामान्य तापमान पर टिन ठोस अवस्था में पाया जाता है। टिन का गलनांक (पिघलने का तापमान) 231 डिग्री सेल्सियस (449 डिग्री फेरेनाइट) और इसका क्वथनांक (उबलने का तापमान) 2602 डिग्री सेल्सियस (4715.6 डिग्री फेरेनाइट) होता है। आवर्त सारणी (Periodic Table) में टिन ग्रुप 14, पीरियड 5 और ब्लॉक P में स्थित होता है। 

टिन धातु का उपयोग हजारों सालों से किया जा रहा है, इसलिए इसकी खोज किसने की यह अज्ञात है।


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Tin Metal in Hindi

टिन (Tin) धातु के गुण 

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Tin Metal Properties in Hindi

  • टिन दो अलग-अलग स्वरूपों (Allotropes) में पाया जाता है, पहला सफ़ेद टिन और दूसरा ग्रे टिन। सफ़ेद टिन, सिल्वर-सफ़ेद रंग की चमकीली धातु होती है, जिससे आमतौर पर सभी परिचित होते है, जबकि ग्रे टिन एक अधात्विक (Non-metallic) पदार्थ होता है जो ग्रे रंग के पाउडर की तरह दिखाई देता है।
  • ग्रे टिन 13.2 डिग्री सेल्सियस तापमान से नीचे स्थिर रहता है, तथा 13.2 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान पर ग्रे टिन धीरे-धीरे सफ़ेद टिन में बदल जाता है।
  • सफ़ेद टिन 13.2 डिग्री सेल्सियस से ऊपर के तापमान पर स्थिर रहता है, तथा 13.2 डिग्री सेल्सियस से कम के तापमान पर सफ़ेद टिन धीरे-धीरे ग्रे टिन में बदल जाता है, यदि सफ़ेद टिन में कुछ मात्रा में सुरमा (Antimony) या बिस्मथ (Bismuth) मिला दिया जाये तो इस बदलाव को रोका जा सकता है।
  • टिन नर्म और मैलिएबल धातु होती है, इसलिए टिन को आसानी से पतली चददर में बदला जा सकता है।  
  • टिन की जंक प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी होती है। 
  • टिन विधुत और उष्मा का अच्छा सुचालक होता है। 
  • हवा में उपस्थित ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करके टिन के ऊपर एक पतली ऑक्साइड की परत जम जाती है, यह परत एक सुरक्षा कोटिंग की तरह काम करती है, जिससे टिन के साथ ऑक्सीजन की प्रतिक्रिया रुक जाती है। 



टिन (Tin) धातु के उपयोग 

  • टिन का उपयोग कई तरह की मिश्रधातुएँ बनाने के लिए किया जाता है जैसे तांबा और टिन धातुओं को मिलकर काँसा (Bronze) मिश्रधातु बनाई जाती है, टिन और सिसा (lead) को मिलकर सोल्डर बनाया जाता है। इसके अलावा बेल मेटल, बेबिट मेटल, टाइप मेटल आदि मिश्रधातुएँ भी टिन से ही बनाई जाती है। 
  • टिन और नाइओबियम धातुओं को मिलकर अतिचालक तार (Superconductive wire) बनाया जाता है। 
  • टिन का उपयोग स्टील और अन्य धातुओं पर सुरक्षा कोटिंग करने के लिए किया जाता है, जिससे उनकी जंक से सुरक्षा होती है। 
  • टिन का उपयोग पिलकिंगटन प्रक्रिया (Pilkington Process) के द्वारा कांच के उत्पादन में किया जाता है, इस प्रक्रिया में पिघले हुए टिन के ऊपर पिघला हुआ कांच फैलाया जाता है, जिससे पिघला हुआ कांच टिन की सतह पर तैरने लगता है, ठंडा होने पर अत्यंत फ्लैट और सामानांतर सतहों वाला ठोस कांच बनता है। 
  • कुछ टिन के लवणों को कांच पर विधुत प्रवाहकीय कोटिंग बनाने के लिए छिड़का जाता है। 
  • टिन ऑक्साइड का उपयोग गैस सेंसर में किया जाता है।
  • टिन फॉयल का उपयोग दवाओं और खाद्य पदार्थो की पैकिंग में किया जाता था जिसे अब एलुमिनियम फॉयल से बदल दिया गया है।  
  • टिन क्लोराइड का उपयोग रेशम (Silk) और छींट (Calico) की रंगाई के लिए मॉर्डेंट (Mordent) के रूप में किया जाता है। 


टिन (Tin) धातु की रोचक जानकारी 

  • टिन पृथ्वी की पपड़ी में 51 वॉ सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला तत्व है।  
  • टिन को मोड़ने पर पर एक अजीब ध्वनि निकलती है जिसे टिन क्राई (Tin Cry) कहा जाता है। 
  • टिन पर पानी में जंक नहीं लगता।
  • टिन का सबसे अधिक उत्पादन दक्षिण पूर्व एशिया के देश चीन, इंडोनेशिया, म्यांमार आदि देशों में किया जाता है।  


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