श्री जगन्नाथ मंदिर के रहस्य Mysteries of Sri Jagannath Temple in Hindi - GYAN OR JANKARI

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शनिवार, 10 अक्तूबर 2020

श्री जगन्नाथ मंदिर के रहस्य Mysteries of Sri Jagannath Temple in Hindi

 श्री जगन्नाथ मंदिर के रहस्य Mysteries of Sri Jagannath Temple in Hindi


श्री जगन्नाथ मंदिर का परिचय 

श्री जगन्नाथ मंदिर एक प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है, यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है, यह मंदिर भारत के ओडिशा राज्य के तटीय शहर पुरी में स्थित है, इसलिए पुरी शहर को जगन्नाथपुरी भी कहा जाता है। यह मंदिर भारत के अति पवित्र चारधामों में से एक है। इस मंदिर के प्रमुख देवता भगवान जगन्नाथ (श्री कृष्ण), उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा हैं, जिनकी पूजा इस मंदिर में की जाती है। श्री जगन्नाथ मंदिर की कई ऐसी रहस्य्मयी परम्पराएं और चमत्कार है, जो असंभव लगते है, और उन पर विश्वाश करना कठिन है, लेकिन इन रहस्यों और चमत्कारों को मंदिर में प्रत्यक्ष देखा जा सकता है, परन्तु इन रहस्यों के पीछे का कारण कोई नहीं जानता। इस मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे ही रहस्यों का वर्णन इस पोस्ट में किया गया है, जो इस प्रकार है :- 

 

श्री जगन्नाथ मंदिर की रसोई का रहस्य   

 श्री जगन्नाथ मंदिर की रसोई भारत की सबसे बड़ी  रसोई मानी जाती है, इस रसोई में प्रतिदिन भगवान श्री जगन्नाथ को भोग लगाने के लिए 56 तरह के व्यंजन धार्मिक पुस्तकों के निर्देशों के अनुसार बनाये जाते हैं, जिसे महाप्रसाद कहा जाता है। यह महाप्रसाद पूरी तरह से शाकाहारी होता है, इस महाप्रसाद में प्याज और लहसुन का भी प्रयोग नहीं किया जाता। इस महाप्रसाद की मात्रा इतनी अधिक होती है, की इसे बनाने के लिए 500 रसोइये और 300 उनके सहायक (कुल 800 लोग) मिलकर काम करतें हैं। इस महाप्रसाद को बनाने के लिए मिट्टी के बर्तनों प्रयोग किया जाता है और ईंधन के लिए लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। मंदिर परिसर में ही दो कुँए हैं, जिन्हे गंगा और यमुना कहा जाता है, महाप्रसाद बनाने के लिए इन्हीं कुओं से पानी लिया जाता है। भगवान श्री जगन्नाथ को भोग लगाने के बाद इस महाप्रसाद को मंदिर में आने वाले लाखों भक्तों में वितरित किया जाता है। 


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Sri Jagannath Mandir, Puri, Odisha
ऐसी मान्यता है की श्री जगन्नाथ मंदिर की रसोई में बनाने वाले महाप्रसाद का निर्माण स्वयं देवी लक्ष्मी की देखरेख में होता है । इसलिए इस मंदिर में बनने वाला महाप्रसाद लाखों भक्तों  वितरित करने के बाद भी कभी किसी के लिए कम नहीं पड़ता और न ही कभी व्यर्थ बचता है। श्री जगन्नाथ मंदिर में प्रतिदिन एक निश्चित मात्रा में महाप्रसाद का निर्माण किया जाता है, लेकिन मंदिर में आने वाले भक्तों की संख्या कभी निश्चित नहीं होती, मंदिर में चाहे एक लाख भक्त आये या दस लाख भक्त आएं, महाप्रसाद सभी को दिया जाता है,  लेकिन महाप्रसाद की निश्चित मात्रा के बावजूद यह कभी कम नहीं पड़ता और न ही व्यर्थ बचता है, जो की आश्चर्य की बात है। 


इसके अलावा इस मंदिर में महाप्रसाद जिस प्रकार बनता है, वह भी एक रहस्य है, और भौतिकी के नियमों को चुनौती देता हुआ प्रतीत होता है। इस मंदिर में महाप्रसाद बनाने के लिए 7 बर्तन एक साथ प्रयोग किये  जातें है, सभी सातों बर्तन चूल्हे पर एक के ऊपर एक रखे जातें है,  लेकिन आश्चर्यजनक रूप से सबसे ऊपर वाले बर्तन में सबसे पहले प्रसाद पक कर तैयार हो जाता है, और उसके बाद क्रमशः नीचे वाले बर्तनो में प्रसाद तैयार होता है और अंत में उस बर्तन में प्रसाद तैयार होता है जो सबसे नीचे होता है। जबकि सामान्य तौर पर देखा जाता है, की चूल्हे पर सबसे नीचे रखे गए बर्तन में सबसे पहले भोजन पकता है, क्योकि वह बर्तन चूल्हे के ताप से सीधे संपर्क होता है, लेकिन इस मंदिर में प्रसाद क्रमशः ऊपर से नीचे वाले बर्तनों में तैयार होता है, इसके पीछे क्या रहस्य है इस बारे में कोई नहीं जनता। 


श्री जगन्नाथ मंदिर की रहस्य्मयी मूर्तियाँ  

श्री जगन्नाथ मंदिर में मुख्य रूप से तीन मूर्तियाँ स्थापित है, पहली मूर्ति भगवान् श्री जगन्नाथ की (श्री कृष्ण की), दूसरी मूर्ति उनकी छोटी बहन देवी सुभद्रा की और तीसरी मूर्ति उनके बड़े भाई भगवान बलभद्र की। ये तीनो मूर्तियाँ लकड़ी से बनाई जाती है। लकड़ी से बनी अनोखी मुर्तियों वाला पुरे भारत में यह एक मात्र मंदिर है। इन लकड़ी की मूर्तियो को हर 12 साल में बदल दिया जाता है और इन पुरानी मूर्तियों की जगह नयी मूर्ति स्थापित की जाती है। 

 

पुरानी मूर्तियों की जगह नयी मूर्तियां स्थापित करने की यह प्रक्रिया अत्यंत रहस्य्मयी होती है। जिस समय श्री जगन्नाथ मंदिर में नयी मुर्तियाँ स्थापित की जाती है, उस समय पुरे शहर की बिजली काट दी जाती है, और शहर में ब्लैकआउट कर दिया जाता है। इसके बाद पुरे मंदिर परिसर के बहार CRPF के सशस्त्र जवान तैनात कर दिए जाते है, और मंदिर में प्रवेश पर पाबन्दी लगा दी जाती है। उस समय मंदिर में केवल वह पुजारी ही प्रवेश कर सकते है ,जिन्हें मूर्तियाँ बदलनी होती है। मंदिर में प्रवेश से पहले उस पुजारी की आँखों पर पट्टी बाँधी जाती है, ताकि उसे कुछ भी दिखाई ना दे और उसे हाथों में दस्ताने पहनाये जाते है, जिसके बाद मूर्तियाँ बदलने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। 

 

मूर्तियां बदलने के दौरान पुरानी मूर्ति में से एक पदार्थ निकाल कर नयी मूर्ति में स्थापित किया जाता है। इस पदार्थ को ब्रह्म पदार्थ कहा जाता है। ऐसा माना जाता है की यदि इस ब्रह्म पदार्थ को किसी ने देख लिया तो उसकी तुरंत मृत्यु हो जाएगी और यदि इस ब्रह्म पदार्थ को किसी ने छू लिया तो उसके शरीर के चिथड़े उड़ जायेंगे। इसलिए इस पदार्थ को आज तक कभी किसी ने नहीं देखा। वह पुजारी जो इन मूर्तियों को बदलते है, वह भी मूर्तियाँ बदलते समय अपनी आँखों पर पट्टी बांधते है और हाथो में दस्ताने पहनते है, ताकि उस ब्रह्म पदार्थ को देखने और छूने से बचा जा सके। और शायद यही कारण है की हजारों सालों से इस मंदिर की मूर्तियां एक विशेष लकड़ी से बनाई जाती है, जिससे उस पदार्थ के संपर्क में आने से बचा जा सके। परन्तु वास्तव वह पदार्थ क्या है और कैसा दिखता है, यह एक रहस्य है, जिसके बारे में कोई नहीं जनता। 

 

समुद्र की आवाज का रहस्य 

श्री जगन्नाथ मंदिर समुद्र के किनारे पर स्थित है, यहां आसपास के क्षेत्र में समुद्र की लहरों की आवाज हर समय आती रहती है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से मंदिर के अंदर एक कदम रखते ही समुद्र की आवाज शांत हो जाती है, और मंदिर के बहार एक कदम रखते ही समुद्र की आवाज फिर से आने लगती है। इसके पीछे क्या रहस्य है, इसके बारे में कोई नहीं जनता। 

 

नहीं दिखाई देती मंदिर की परछाई

श्री जगन्नाथ मंदिर की ऊंचाई 214 फ़ीट है, लेकिन दिन के किसी भी समय इसकी परछाई दिखाई नहीं देती, जबकि सुबह और शाम के समय जब सूरज क्षैतिज अवस्था में होता है उस समय किसी भी वस्तु की बहुत लम्बी परछाई बनती है, लेकिन आज तक किसी ने भी इस मंदिर की परछाई नहीं देखी। ऐसा क्यों होता है और इसके पीछे क्या रहस्य है यह कोई नहीं जनता। 

 

मंदिर के शिखर के ऊपर बने हुए सुदर्शन चक्र का रहस्य 

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अलग अलग जगहों से सुदर्शन चक्र के दर्शन

श्री जगन्नाथ मंदिर से शिखर पर सुदर्शन चक्र बना हुआ है, इस चक्र को पुरी शहर के किसी भी हिस्से से देखा जाये इस चक्र का मुँह आपके सामने ही दिखाई देता है। ऐसा क्यों होता है यह भी एक रहस्य है।

 

श्री जगन्नाथ पुरी मंदिर के झंडे का रहस्य 

श्री जगन्नाथ पुरी मंदिर के शिखर पर लगे झंडे को रोज बदला जाता है, ऐसी मान्यता है की यदि किसी दिन इस झंडे को नहीं बदला गया तो यह मंदिर अगले 18 साल के लिए बंद हो जाएगा। इसके अलावा इस मंदिर के शिखर पर लगा झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में उड़ता है, इसके पीछे क्या रहस्य है यह कोई नहीं जनता। 


मंदिर परिसर में और मंदिर के ऊपर कोई पक्षी नजर नहीं आता 

श्री जगन्नाथ मंदिर चार लाख वर्ग फ़ीट से फैला हुआ है तथा इसके शिखर की उचाई 214 फ़ीट है। इतने बड़े क्षेत्रफल में फैले हुए इस मंदिर परिसर में कहीं पर कोई पक्षी दिखाई नहीं देता और मंदिर के गुम्बदों और शिखर पर भी कोई पक्षी नहीं बैठता यहां तक की कोई भी पक्षी इस मंदिर के ऊपर से होकर उड़ान नहीं भरता, जबकि मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में कई तरह के पक्षी बड़ी आसानी से देखे जा सकते है। मंदिर के इस चमत्कार को देखने के बाद सरकार ने भी इस मंदिर के ऊपर से किसी भी हवाईजहाज और हेलीकॉप्टर की उड़ान पर प्रतिबन्ध लगा रखा है। 

 

श्री जगन्नाथ मंदिर के यह सभी चमत्कार अविश्वसनीय और विज्ञान के नियमों को चुनौती देते हुए प्रतीत होतें है, और इन पर विश्वाश करना कठिन लगता है। लेकिन यह सभी चमत्कार इस मंदिर में प्रतिदिन घटित होतें हैं और इन्हे इस मंदिर में प्रत्यक्ष देखा जा सकता है। इन रहस्यों को देखने के लिए प्रतिवर्ष अनगिनत लोग इस मंदिर में जातें है, लेकिन आज तक इन रहस्यों के पीछे का कारण कोई नहीं जान पाया। 



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