SHIV AARTI LYRICS, शिवजी की आरती - GYAN OR JANKARI

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मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

SHIV AARTI LYRICS, शिवजी की आरती

शिवजी की आरती, Shiv Ji  Ki Aarti 

Shiv-Aarti
ॐ नमः शिवाय 

जय शिव ओंकारा, हर जय शिव ओंकारा 
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा  || टेक || 

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे 
हंसानन गरुड़ासन वृष वाहन साजै || जय || 

दोय भुज चार चतुर्भुज दशभुज ते सोहै 
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहे || जय || 

अक्षमाला वनमाला रुण्डमाला धारी 
चंदन मृग मद चन्दा भाले शुभकारी || जय || 

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे 
सनकादिक प्रभुतादिक भूतादिक संगे || जय || 

करके मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता 
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहार कर्ता || जय || 

ब्रहमा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका 
प्रनवक्षरनुमध्ये  ये तीनों एका  || जय || 

त्रैयगुण स्वामीजी की आरती जो कोई नर गावे 
कहत शिवानंद स्वामी वांछित फल पावै  || जय ||