मैक्रोन्युट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के प्रकार और उनके उपयोग - GYAN OR JANKARI

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बुधवार, 25 दिसंबर 2019

मैक्रोन्युट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के प्रकार और उनके उपयोग

मैक्रोन्युट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के प्रकार और उनके उपयोग


पोषक तत्त्व भोजन में ऐसे अणु होते है जो जीवो के लिए  ऊर्जा बनाने, शरीर का विकास करने, शरीर की  कोशिकाओ के निर्माण करने और मररम्मत (Repair) करने , तथा शरीर के अंगो तथा ग्रंथियों के सही संचालन के लिए आवश्यक होते है।
 
पोषक तत्त्व दो प्रकार के होते है मैक्रोन्युट्रिएंट्स  और माइक्रोनुट्रिएंट ।  मैक्रोन्यूट्रिएंट  ऐसे पोषक तत्त्व होते है जो भोजन में बड़ी मात्रा में पाए जाते है तथा इनकी मात्रा ग्राम में होती है, मैक्रोन्यूट्रिएंट को तीन प्रकार के होते है  कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा (Fat). माइक्रोनुट्रिएंट  ऐसे पोषक तत्त्व होते है जो भोजन में सूक्ष्म मात्रा में पाए जाते है तथा भोजन में इनकी मात्रा मिलीग्राम में होती है माइक्रोनुट्रिएंट दो प्रकार के होते है विटामिन तथा मिनरल।

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मैक्रोन्युट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स
 

मैक्रोन्युट्रिएंट्स क्या होते है

मैक्रोन्युट्रिएंट्स ऐसे नुट्रिएंट होते है जिनकी हमें बड़ी मात्रा में जरुरत होती है तथा यह खाद्य पदार्थो में भी बड़ी मात्रा में पाए जाते है, मैक्रोन्युट्रिएंट्स हमें हमारे शरीर की कार्य प्रणाली को सुचारु रूप से चलाने के लिए तथा हमारी दैनिक जीवन की गतिविधियों को पूरा करने के लिए आवशयक ऊर्जा प्रदान करते है, मैक्रोन्युट्रिएंट्स तीन प्रकार के होते है कार्बोहइड्रेट, प्रोटीन और वसा, ये सभी मैक्रोन्युट्रिएंट्स शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के साथ साथ शरीर के विकास में भी सहायक होते है। 
 

कार्बोहइड्रेटस

कार्बोहाइड्रेट्स ऐसे मैक्रोन्युट्रिएंट्स होते है जिनका उपयोग कोशिकाओं में त्वरित (Instant Energy) ऊर्जा के लिए किया जाता है। कार्बोहाइड्रेट्स शरीर के लिए सबसे कुशल  (Efficient) ऊर्जा स्रोत की तरह होते है, शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स टूटकर ग्लूकोस और शर्करा के रूप में परिवर्तित हो जाते है जिससे शरीर को आवश्यक कार्यो के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है, शरीर में कार्बोहाइड्रेट्स के बिना हमें कमजोरी महसूस होने लगती है जिसके कारन हमारे शारीरिक प्रदर्शन में कमी आने लगती है, जब हमें कार्बोहाइड्रेट्स नहीं मिलते तब हमारा शरीर ऊर्जा के लिए प्रोटीन और वसा का उपयोग करने लगता है, प्रोटीन ऊर्जा का कम कुशल (Less Efficient) स्रोत होता है तथा वसा ऊर्जा का सबसे कम कुशल (Least Efficient) स्रोत होता है, प्रोटीन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य शरीर में मांसपेशियों के निर्माण के लिए एमिनो एसिड्स प्रदान करना होता है, इसलिए कार्बोहाइड्रेट्स की कमी होने पर हमारा शरीर ऊर्जा के लिए प्रोटीन का उपयोग करने लगता है जिसके कारण शरीर में माँसपेशिओ के निर्माण में रुकावट आने लगती है तथा हमारी मांसपेशियाँ घुलने लगती है और हमारा शरीर कमजोर होने लगता है। 

 जब हम जरुरत से ज्यादा कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन करते है तो ये अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट्स हमारे शरीर में वसा  में परिवर्तित हो जाते है और हमारा वजन बढ़ने लगता है। 

ग्लूकोस, शर्करा, सभी प्रकार की मीठे खाद्य पदार्थ, सभी प्रकार के अनाज, आलू , मक्का  आदि कार्बोहाइड्रेट्स के बहुत अच्छे स्रोत होते है। 
 

प्रोटीन

प्रोटीन एक मैक्रोन्यूट्रिएंट है जो की एमिनो एसिड्स से बने होते है हमें इसकी बड़ी मात्रा में जरुरत होती है, प्रोटीन हमारे शरीर की हर कोशिका का एक महत्वपूर्ण भाग होता है, हमारे बाल और नाख़ून का ज्यादातर भाग प्रोटीन से ही बना होता है, हमारा शरीर कोशिकाओं के निर्माण और मररम्मत (Repair) के लिए प्रोटीन का ही उपयोग करता है, इनके अलावा हमारा शरीर एंजाइम, हार्मोन, तथा अन्य रसायन का निर्माण करने के लिए भी प्रोटीन का उपयोग करता है, प्रोटीन हमारे शरीर में मांसपेशिओं, हड्डियों, त्वचा और रक्त बनाने के लिए एक निर्माण खंड (Building Block) की तरह उपयोग किया जाता है इसलिए बॉडीबिल्डर माँसपेशियो के निर्माण के लिए अपनी डाइट में प्रोटीन को प्राथमिकता देते है।   

सभी प्रकार की दाल (Pulses) , सोयाबीन, ड्राई फ्रूटस, अंडे, मीट, पनीर, मूंगफली आदि प्रोटीन के बहुत अच्छे स्रोत होते है 

वसा

फैट  एक मैक्रोन्यूट्रिएंट है, फैट हमारे शरीर में ऊर्जा भंडार के तरह स्टोर होते है, हमें इसकी बड़ी मात्रा में जरुरत होती है, फैट हमारे शरीर को ऊर्जा देने तथा कोशिका वृद्धि में सहायता करने के लिए आवश्यक है, फैट हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगो के बिच में इकट्ठे होकर अंगो को सहारा या कुशन प्रदान करते है, फैट हमारे शरीर को गर्म रखने में मदद करते है, फैट हमारे शरीर में कुछ पोषक तत्वों तथा कुछ विटामिन्स के अवशोषण में सहायक होते है, तथा फैट हमारे शरीर में हार्मोन के एक निर्माण घटक (Building Block) के रूप में उपयोग किये जाते है, फैट हमारे शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक पोषक तत्व होते है परन्तु आवश्यकता से अधिक फैट ग्रहण करने पर ये हमारे शरीर में इकट्ठे होने लगते है इस कारण शरीर में मोटापा बढ़ने लगता है जिससे शरीर में कई प्रकार के रोग होने की सम्भावनाएं बहुत बढ़ जाते है, इसलिए हमें फैट का एक संतुलित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।  
 
सभी प्रकार के खाद्य तेल, घी, मक्खन आदि फैट के बहुत अच्छे स्रोत होते है।  
 

माइक्रोन्यूट्रिएंट्स क्या होते है

माइक्रोन्यूट्रिएंट्स ऐसे पोषक तत्त्व होते है जिनकी हमें सूक्ष्म मात्रा में जरुरत होती है तथा यह खाद्य पदार्थो में भी सूक्ष्म मात्रा में पाए जाते है, हमारे शरीर को माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की जरुरत मैक्रोनुट्रिएंट्स की तुलना में बहुत कम मात्रा में होती है परन्तु ये हमारे शरीर के लिए मैक्रोनुट्रिएंट्स की तुलना में कम महत्वपूर्ण नहीं होते,  माइक्रोनुट्रिएंट ऐसे पदार्थ होते है जो हमारे शरीर को हार्मोन,एनजाइम और अन्य आवश्यक पदार्थो के उत्पादन में सक्षम बनाते है तथा ये शरीर के उचित विकास के लिए अत्यंत आवश्यक होते है शरीर में माइक्रोनुट्रिएंट की कमी और अनुपस्थिति होने पर कई गंभीर रोग हो जाते है इसलिए माइक्रो नुट्रिएंट शरीर के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते है माइक्रोन्यूट्रिएंट्स दो प्रकार के होते है (1) विटामिन Vitamins  (2) मिनरल्स Minerals। 

 

विटामिन

विटामिन Vitamin सूक्ष्म पोषक तत्त्व होते है जो हमारे शरीर के स्वस्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते है।  विटामिन 2 प्रकार के होते है (1)जल में घुलनशील विटामिन (Water Soluble Vitamins) (2) वसा में घुलनशील विटामिन (Fat Soluble Vitamins)विटामिन की कुल संख्या 13 होती है। 
 

जल में घुलनशील विटामिन 

जल में घुलनशील विटामिन की संख्या 9 होती है 
  1. विटामिन B1 Thiamine 
  2. विटामिन B2 Riboflavin 
  3. विटामिन B3 Niacin
  4. विटामिन B5 Pantothenic acid
  5. विटामिन B6 Pyridoxine 
  6. विटामिन B7 Biotin
  7. विटामिन B9 Folate
  8. विटामिन B12 Cobalamin
  9. विटामिन C

 

वसा में घुलनशील विटामिन्स

वसा में घुलनशील विटामिन की संख्या 4 होती है
  1. विटामिन A

  2. विटामिन

  3. विटामिन E

  4. विटामिन K

 

मिनरल

मिनरल्स ऐसे रासायनिक तत्त्व होते है जो हमारे खाद्य पदार्थो में सूक्ष्म मात्रा में पाए जाते है, मिनरल्स हमारे शरीर के अंदर सूक्ष्म मात्रा में पोषक तत्वों के रूप में कार्य करते है तथा हमारे स्वस्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक होते है।  मिनरल्स दो प्रकार के होते है (1) मैक्रोमिनरल्स Macro minerals (2) ट्रेस मिनरल्स Trace Minerals
 

मैक्रोमिनरल्स

मैक्रोमिनरल्स ऐसे मिनरल्स होते है जिनकी आवश्यकता शरीर को ट्रेसमिनरल्स की तुलना में बहुत अधिक होती है कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड आदि मैक्रोमिनरल्स के उदाहरण है। 
 

ट्रेस मिनरल्स

ट्रेस मिनरल्स ऐसे मिनरल होते है जिनकी आवश्यकता शरीर को अत्यंत सूक्ष्म मात्रा में होती है आयरन, मैंगनीज, कॉपर, आयोडीन, ज़िंक, कोबाल्ट, फ्लोराइड, सेलेनियम आदि ट्रेस मिनरल्स के उदाहरण है। 

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