स्वर्ण धातु की जानकारी / Gold Metal in Hindi
स्वर्ण एक धातु है और रासायनिक रूप में यह एक तत्त्व है
यह बहुत ही मूल्यवान और पीले रंग की चमकदार धातु होती
है। इसका सिम्ब्ल (Symbol) AU होता है।
इसका परमाणु भार 196.967 होता है तथा इसका परमाणु संख्या क्रमांक 79 है। इसके परमाणु में 79 इलेक्ट्रॉन, 79 प्रोटोन, और 118 न्यूट्रॉन होते
है। स्वर्ण धातु का घनत्व 19.282 ग्राम प्रती घन
सेंटीमीटर होता है यह सामान्य तापमान पर ठोस होता है तथा यह 1064.18 डिग्री सेल्सियस पर पिघलता है तथा 2856 डिग्री सेल्सियस पर यह उबलने लगता है।
स्वर्ण धातु की खोज किसके द्वारा की गयी यह अज्ञात है क्योकि
स्वर्ण का प्रयोग हजारो सालों से किया जा रहा है।
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स्वर्ण / Gold
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स्वर्ण धातु के गुण (Properties of Gold Metal in Hindi)
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Gold Metal Properties in Hindi
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स्वर्ण बहुत दुर्लभ धातु होती है इसलिए यह बहुत मूल्यवान धातु भी
होती है। स्वर्ण की शुध्दता कैरट में मापी जाती है, शुद्ध स्वर्ण की
शुध्दता 24 कैरट होती है, 22 कैरेट स्वर्ण में
22 हिस्से (91.666 %) स्वर्ण होता है तथा
2 हिस्से (8.333 %) अन्य धातु होते है इसी प्रकार 18 कैरेट
स्वर्ण में 18 हिस्से (75%) स्वर्ण होता है तथा
6 हिस्से (25%)
अन्य धातु होती है।
स्वर्ण बहुत ही नर्म धातु होती है इसलिए इसे शुद्ध अवस्था में इस्तेमाल
नहीं किया जाता है स्वर्ण से गहने आदि बनाने के लिए पहले इसमें कुछ मात्रा
में चांदी
या
ताम्बा
मिलकर कठोर किया जाता है ज्यादातर इसमें
तांबा
मिलाया जाता है फिर इससे गहने बनाये जाते है।
स्वर्ण का घनत्व बहुत अधिक होता है इस कारन यह कुछ सबसे भरी धातुओं
में से एक होता है स्वर्ण के 1 घन सेंटीमीटर का भार 19.282 ग्राम होता है इसलिए स्वर्ण लोहे
से लगभग ढाई गुना ज्यादा भारी होता है।
स्वर्ण ज्यादातर तेजाब (एसिड्स) से प्रतिरोध करता
है यह केवल एक्वा रेगिआ (Aqua Regia) एसिड (जिसे अम्लराज भीं
कहते है) में घुलनशील होता है, एक्वा रेगिआ (Aqua Regia) या
अम्लराज नाइट्रिक एसिड
और
हाइड्रोक्लोरिक एसिड
का 1 : 3 अनुपात का मिश्रण होता है।
स्वर्ण रासायनिक रूप से निष्क्रिय धातु है
इसलिए यह केमिकलस से क्रिया नहीं करता है इस कारण स्वर्ण पर
कभी भी जंक नहीं लगता है तथा इस पर पानी, मौसम या वातावरण का कोई
प्रभाव नहीं पड़ता है।
शुद्ध स्वर्ण सर्वाधिक मेलिएबल (Malleable) धातु होती है अर्ताथ स्वर्ण को
पीट पीट कर सर्वाधिक पतली चद्दर बनाई जा सकती है, स्वर्ण के 1 ग्राम के
टुकड़े को पीट पीट कर बिना फटे 1 वर्ग मीटर तक फैलाया जा सकता है इस
अवस्था में स्वर्ण की शीट इतनी पतली हो जाती है की यह अर्ध
पारदर्शी हो जाती है जिसमे से कुछ मात्रा में रौशनी भी गुजर सकती है।
शुद्ध स्वर्ण में
प्लैटिनम
के बाद सर्वाधिक तन्यता (Ductility) का गुण पाया जाता है इस
गुण के कारन स्वर्ण के 1 ग्राम के टुकड़े को खींच कर बिना
टूटे 2400 मीटर लम्बा तार बनाया जा सकता है।
स्वर्ण गर्मी और इलेक्ट्रिसिटी का बहुत अच्छा वाहक होता है।
स्वर्ण हैलोजन्स (Halogens ) को छोड़कर किसी अन्य अधातुओ से अभिक्रिया
नहीं करता है, हैलोजन्स आवर्त सरणी (Periodic Table) के ग्रुप 17
के पांच टॉक्सिक (Toxic) एलिमेंट होते है जो की
फ्लोरिन,
क्लोरीन,
ब्रोमिन,
आयोडीन,
अस्टेटिन
है।
स्वर्ण
पारे
में घुलनशील होता है पर यह पारे से रासायनिक अभिक्रिया नहीं करता
है, स्वर्ण और
पारे
के मिश्रण को अमलगम कहते है।
स्वर्ण धातु के उपयोग (Uses of Gold Metal in Hindi)
स्वर्ण एक बहुमूल्य धातु होती है इस कारन प्राचीनकाल में इसका उपयोग मुद्रा
के रूप में किया जाता था। स्वर्ण से सिक्के भी बनाए जाते है।
स्वर्ण को पुरे विश्व में एक ऐसी मुद्रा के रूप देखा जाता है जिसे सभी
जगह मान्यता प्राप्त है इसलिए स्वर्ण को एक सबसे सुरक्षित निवेश मन
जाता है इसलिए ज्यादातर देश अपने पास बड़ी मात्रा में स्वर्ण रखते
है जैसे की USA के पास 8000 टन से ज्यादा का स्वर्ण भंडार है जो
की विश्व में सबसे ज्यादा है और इसी प्रकार बहुत से निवेशक भी अपने पास
स्वर्ण खरीद कर रखते है जो की उनके लिए मंदी के दौर में सहायक होता
है।
स्वर्ण का सबसे अधिक इस्तेमाल गहने बनाने में होता है। गहनों के रूप में
स्वर्ण का सबसे अधिक उपयोग भारत में होता है।
स्वर्ण-198 (Gold-198) स्वर्ण का एक रेडिओएक्टिव स्वरूप होता है
इसका उपयोग कैंसर रोगियों को रेडियोथेरेपी देने में किया
जाता है
स्वर्ण को आयुर्वेद में औषद्यि की तरह प्रयोग किया जाता है , स्वर्ण को
भस्म में परिवर्तित करके स्वर्णभस्म के रूप में कई बिमारिओ के इलाज में
प्रयोग किया जाता है।
स्वर्ण का उपयोग दांतो के इलाज में लगभग 3000 सालो से किया जा रहा है। स्वर्ण
को दांतो की कैविटी भरने तथा टूटे हुए दांतो के स्थान पर नए दांत लगाने
के लिए सबसे बेस्ट मटेरियल माना जाता है क्योकि स्वर्ण एक निष्क्रिय
धातु होने के साथ साथ एक नॉनएलर्जिक धातु भी है जिससे शरीर को कोई नुक्सान
नहीं होता है। स्वर्ण एक निष्क्रिय धातु है इसलिए इसे दांतो के स्थान पर
लगाने पर यह किसी भी खाने की वास्तु से कोई अभीक्रिया नहीं करता जिससे मुँह
में कोई हानिकारक तत्व नहीं बनते इसलिए यह शरीर के लिए सबसे
अनुकूल धातु होती है। इसके अलावा स्वर्ण बहुत ही नरम और
लचीला धातु होती है इसलिए यह आसानी से दांतो का आकर ले लेती है।
स्वर्ण को खाने में भी प्रयोग किया जाता है स्वर्ण को पिट पिट कर पतली
परत बनाई जाती है जिसे स्वर्ण का वर्क कहते है इससे मिठाइयों को
सजाया जाता है और खाने में प्रयोग किया जाता है।
स्वर्ण पर जंग नहीं लगता तथा इस पर मौसम का भी कोई प्रभाव नहीं
पड़ता, इसलिए इसका उपयोग किसी भी वस्तु की सतह की सुरक्षा करने और
उसकी सुंदरता बढ़ाने के लिए उस पर परत चढ़ाने में भी होता
है जिसे गोल्डप्लेटिंग भी कहते है । परत चढाने के लिए यांत्रिक और
रासायनिक साधनो का प्रयोग किया जाता है।
स्वर्ण जंगरोधी होने के साथ साथ बहुत अच्छा बिजली का सुचालक भी होता है इसलिए
इसका प्रयोग बिजली के कनेक्टर जॉइंट्स पर परत चढाने में होता है, स्वर्ण के
इसी गुण के कारन लगभब सभी इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस जैसे मोबाइल लैपटॉप
कंप्यूटर कैलकुलेटर आदि के मदरबोर्ड तथा अन्य हिस्सों पर स्वर्ण की परत
चढाई जाती है जिससे उनमे विद्युत का प्रवाह आसानी से हो सके और वे लम्बे समय
तक सुचारु रूप से काम कर सकें।
सभी अंतरिक्ष यान की खिड़किओं के कांच तथा अंतरिक्ष यात्री के हेलमेट के कांच
पर गोल्ड कोटेड पॉलिएस्टर फिल्म चढाई जाती है यह परत सूर्य से आने वाली
हानिकारक इंफ्रारेड रेडिएशन को रोक लेती है और परावर्तित कर देती है, इसका
इस्तेमाल अंतरिक्ष यान के गहरे रंग के हिस्सों पर भी किया जाता है जिससे
सूर्य के रेडिएशन से उस हिस्से का तापमान बहुत अधिक नहीं बढ़ पाता।
स्वर्ण का उपयोग विभिन्न प्रतियोगीताओं जैसे ओलिंपिक आदि में विजेताओं के
लिए मैडल और ट्रॉफी बनाने में होता है।
स्वर्ण धातु कहाँ मिलता है (Where Is Gold Found)
स्वर्ण प्रकृति में मुक्त अवस्था में पाया जाता है यह आग्नेय चटटनो में सूक्ष्म
मात्रा में वितरित रहता है। भारत में स्वर्ण कोलर की खानों से निकला जाता
है तथा विश्व में सबसे अधिक स्वर्ण का उत्पादन चीन में
किया जाता है।
स्वर्ण से सम्बंधित रोचक तथ्य (interesting facts about Gold Metal in Hindi)
स्वर्ण
लोहे
से लगभग ढाई गुना ज्यादा भारी होता है।
स्वर्ण
पारे
के संपर्क में आने पर पारे में घुल जाता है।
एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2015 तक पुरे विश्व में केवल 1,86,700
टन स्वर्ण ही निकला गया।
विश्व में कुल स्वर्ण के उत्पादन का 50 % उपयोग गहनों के
निर्माण में होता है, 40 % स्वर्ण का उपयोग निवेश में होता है तथा 10 %
स्वर्ण का उपयोग उद्योगों में होता है।
स्वर्ण को पिट पिट कर बहुत ही बारीक़ शीट बनाई जा सकती है जिसे वर्क कहते है
यह इंसानी बाल से 40 गुना ज्यादा पतली हो सकती है।
स्वर्ण के 1 ग्राम के टुकड़े को खींच कर 2400 मीटर लम्बा तर बनाया जा सकता है।
इस पोस्ट में हमने स्वर्ण सम्बंधित जानकारी सरल शब्दों में देने की
कोशिश की है यदि इस पोस्ट से सम्बंधित आपके कोई सुझाव या सवाल है तो आप कमेंट
बॉक्स में लिख सकते है, इस पोस्ट को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद्।
धन्यवाद्
ज्ञान और जानकारी
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